१. अनिरुद्धपाठ
२. आरती अनिरुद्धा
३. आरती उतारें नन्दे अनिरुद्धप्रिये
४. कौन हो तुम बताओ जरा
५. ॐ साई श्री साई
६. ॐ जय अनिरुद्ध प्रभो
७. आइए अनिरुद्ध, मेरे मायबापा
८. उतारूँ आरती मेरे साँवले राजा
९. बिडा लीजिए अनिरुद्धा
१०. गजर – हे त्रिपुरारि, हे अनिरुद्धा
Anjanamata Book – (Print Copy – 2 Books in One Set)
Sadguru Shree Aniruddha Bapu has gifted all the Shraddhavans with this ‘Aanjanamata Book’ – a simplest and beautiful way of making Aadimata Aanjana and her son Ramdoot Hanumant active in every Shraddhavans life. Aanjanamata book provides us with the strength to fight all odds in life and become a ‘Vanarsainik’ of Lord Ram. By writing this book one acquires the potency to fight alone with his prarabdha without depending upon others and the grace of Sadguru flows continuously. This is the biggest benefit of writing the Aanjanamata books.
१) उभे राहूनी सर्व आता आरती करुया
२) त्रिगुणात्मक त्रैमुर्ती
३) सुखकर्ता दु:खहर्ता
४) हे राजा राम तेरी आरती उतारूं
५) आरती करितो हनुमंताची
६) आरती साईबाबा
७) लवथवती विक्राळा
८) कर्पूरगौरा गौरीशंकरा आरती
९) जय जय जय मयूरेश्र्वरा पंचारती ओवाळू हरा
१०) युगे अठ्ठावीस
११) दुर्गे दुर्घट भारी
१२) येई हो विठठले माज़े
१) उभे राहूनी सर्व आता आरती करुया २) त्रिगुणात्मक त्रैमुर्ती ३) सुखकर्ता दु:खहर्ता ४) हे राजा राम तेरी आरती उतारूं ५) आरती करितो हनुमंताची ६) आरती साईबाबा ७) लवथवती विक्राळा ८) कर्पूरगौरा गौरीशंकरा आरती ९) जय जय जय मयूरेश्र्वरा पंचारती ओवाळू हरा १०) युगे अठ्ठावीस ११) दुर्गे दुर्घट भारी १२) येई हो विठठले माज़े
’कृपा’ मतलब आशिर्वाद और ’सिंधु’ मतलब सागर। यह सागर जलसे भरा नही बल्की यह उस अनादिअनंत का है जिसका अस्तित्व विश्व निर्मिति से पेहेले भी था और प्रलय के पश्चात भी होगा । इस लिए यह सागर अनंत है. यह ’परमात्मा’, ’सद्गुरु’ है ।
Bharatiya Bhasha Sangam has been founded to foster love among the people speaking different Indian languages under the guidance of Sadguru Shree Aniruddha Bapu. India has many States and in each state, a different language is spoken. This book – “Bharatiya Bhasha Sangam – Travel Guide” is published with the intent of making possible atleast the primary conversation with the locals while traveling across the states of India. The book contains a collection of all the important words and sentences required during our travel. As of now the book features translations in 9 Indian languages. We hope that this book would prove to be helpful during your travel.
Bharatiya Bhasha Sangam has been founded to foster love among the people speaking different Indian languages under the guidance of Sadguru Shree Aniruddha Bapu. India has many States and in each state, a different language is spoken. This book – “Bharatiya Bhasha Sangam – Travel Guide” is published with the intent of making possible atleast the primary conversation with the locals while traveling across the states of India. The book contains a collection of all the important words and sentences required during our travel. As of now the book features translations in 9 Indian languages. We hope that this book would prove to be helpful during your travel.
श्रद्धावानों के फलस्वरूप, उनके जीवन को उचित दिशा प्रदान करने की तीव्र उत्कंठा के फलस्वरूप सदगुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने हमें आदिमाता की प्रेमकॄपा का आश्वासन दिया। मां चण्डिका की क्षमा, रक्षण अर्थात आधार, वे इस ग्रंथ के माध्याम से हम तक पहुंचा रहे हैं। श्रद्धावानों के मन मे उठनेवाले सभी प्रश्नों को, भय को दूर करके भक्ती और सामर्थ्य को दृढ करनेवाला यह सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है। ऐसा हितकारक बदलाव लानेवाला यह ग्रंथ सिर्फ दिशादर्शक ही नहीं है बल्कि, चण्डिकाकुल की कृपा के फलस्वरूप, इस दिशा में प्रवास करनेवालों को ताकत भी प्रदान करता है। मां चण्डिका की ओर ले जानेवाला मार्ग सदैव खुला रहता है, द्वार खुला रहता है इसका आभास करवानेवाला यह ग्रंथ हमारे अंदर मे अनेको बंद दरवाजो को आसानी से खोल देता है, हमारे मन की अनेक बाधाओं की आसानी से दूर करता है और इस मां की कृपा के खुले मार्ग पर ले आता है। जब ऐसा होता है तब ही मां के नजदीक ले जानेवाले खुले द्वार का आभास होता है और यह कार्य यह ग्रंथ अर्थात सदगुरु की उत्कंठा के शब्द निश्चित रुप से संम्पन्न करता है।
यह परमपावन कार्य, जैसे इसका नाम दर्शाता है, माँ चंडिका के वात्सल्य का प्रत्यक्षीकरण है। सगुरु श्री अनिरुद्ध रचित यह कार्य भक्तों को केवल महिषासुरमर्दिनी माता चंडिका के आदर्श, कार्य और भूमिका से ही जोड़ने के लिए नहीं है, बल्कि उसके वात्सल्य से और उसकी हमारी संरक्षा के प्रति तत्परता से हमें अवगत कराना है।
वे चाहते हैं कि हम माता के प्रेम को जानें और उस शक्ति को पहचाने – वह शक्ति जो दुष्टता या बुराई से लड़ने की है, वह शक्ति जो नैतिक गुण और भक्ति के परिणामों से निश्चल आनंद की प्राप्ति कराती है। वह भले ही उग्र दिखती हो, वही सच्ची भक्त की सुरक्षा करती है और दुष्टों का नाश करती है। उस ने अपने उद्देश्य के मुताबिक – सच्चाई, पवित्रता, प्रेम और आनंद के नियमों की सुरक्षा हेतु यह भूमिका अपनाई है और वह इसकी प्राप्ति करती ही है।
गायत्री माता, महिषासुरमर्दिनी चंडिका माता और अनसूया माता एक ही है। विभिन्न स्तर के कार्यों के अनुसार माता रूप धारण करती है। जैसा कि सद्गुरु श्री अनिरुद्ध कहते हैं, यह कार्य माता की कीर्तियों का गुणसंकीर्तन है। यह एक ‘ज्ञान-गंगा’ है, और ‘भक्ति-भागीरथी’ है। यह कार्य ज्ञान एवं भक्ति के पथ पर चलकर भगवंत या यहाँ पर माता चंडिका के बोध के प्रति संतोष प्रदान करता है।
यह चिरकाल तक मार्गदर्शन करनेवाला यह ग्रन्थ सद्गुरु श्री अनिरुद्ध जी द्वारा लिखे गए उन के अन्य कार्यों की तरह भक्तों को प्रेम और आधार देता है।
On the 26th of May, 2013, mega event was organized, a grand evening in the world of devotion and devotional music, in which selected abhangas right from the first cassette Bol Bol Vaache, Ailtiri Pailtiri, Pipasa 1 & 2, Pipasa Pasarli, Vahini Mhane, Bapu Thy Grace till Kaay Goad Guruchi Shaala, was sung live. The Audio CD of the same is now available.
On the 26th of May, 2013, mega event was organized, a grand evening in the world of devotion and devotional music, in which selected abhangas right from the first cassette Bol Bol Vaache, Ailtiri Pailtiri, Pipasa 1 & 2, Pipasa Pasarli, Vahini Mhane, Bapu Thy Grace till Kaay Goad Guruchi Shaala, was sung live. The Video DVD of the same is now available.
Ramnaam Book (Print Copy – 4 Books in one set)
Aniruddha’s Universal Bank of Ramnaam implies a notebook which gives the devotees an opportunity to recollect the sacred name of God. Every page of the book has Lord Hanumanta’s image watermarked in the background, on which the devotees get the golden opportunity to write various names of God. While writing Ramnaam notebook we get connected with the divine name of the Lord which we chant while writing it. This is the biggest benefit of writing the Ramnaam books.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना सन 1925 में हुई। डॉ. केशव बळीराम हेडगेवार ने नब्बे वर्ष पहले बोये हुए बीज का रूपान्तरण अब एक विशाल वटवृक्ष में हो चुका है। इस वटवृक्ष की शाखाएँ कितनीं, पत्ते कितने इसकी गिनती करना मुश्किल है। लेकिन यह संगठन भारतीय जनमानस में बहुत ही दृढ़तापूर्वक अपनी जड़ें फ़ैलाकर समर्थ रूप में खड़ा है और वटवृक्ष की ही गति एवं शैली में विकास कर रहा है। केवल देश में ही नहीं, बल्कि जहाँ कहीं भी भारतीय हैं, उन सभी देशों में संघ कार्यरत है ही। इतना ही नहीं, बल्कि विदेशस्थित भारतीयों को अपने देश के साथ, संस्कृति के साथ दृढ़तापूर्वक जोड़कर रखनेवाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यह मात्र एक संगठन नहीं, बल्कि परंपरा बन चुका है।
Available in English, Marathi & Gujrati
सद्य पिपा (आप्पासाहेब दाभोलकर) और चेतनसिंह दाभोलकर के भावों को इतना अच्छे से फिल्माया गया है की, देखनेवाला अपनेआपको भूल जाता है।
जब सी.डी. पूरी हो गयी तो ऐसा लगा की ४५ मिनट आँख झपकते ही बीत गए। साईंनिवास पर बनी हुई डाक्यूमेंट्री का हमारे पास होना एक अनमोल खज़ाना है।
‘राम्रसायन’ सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापूजी रचित भगवन श्रीराम की जीवणी है मगर यह केवल अनुवाद नहीं है। ‘राम्रसायन’ भगवान श्रीराम की जीवनगाथा जरुर है, परन्तु कुछ हद तक यह घटनाएं हर युग में और सभी मानवों की जिंदगी में घटती हैं। हरएक की भूमिका – चाहे वे श्रीराम के सद्गुण हों या रावण की चरित्रहीनता हो, वे हर समय हमारे जीवन में घटते हैं। इन बातों को ‘प्रेमप्रवास’ (श्रीमाद्पुरुशार्थ ग्रंथराज का दूसरा भाग) में समझाया गया है। पाठक इन बातों को अपने जीवन से जोड़कर इन से निरंतर मार्गदर्शन पाता है। यह केवल अपनी पत्नी सीता को दुष्ट रावण के चुंगल से छुड़ाने की बात नहीं है। हम भक्तों के लिए मानो भगवान की यह लड़ाई भक्ति को प्रारब्ध के चुंगल से छुड़ाकर वहीँ ले जाने के लिए है जहाँ से वह आई है – भगवान के पास। भगवान एक सामान्य इन्सान की तरह जीवन व्यतीत करते हुए, उपलब्ध भौतिक साधनों की सहायता से और कठिन परिश्रम करते हुए पवित्र मार्ग पर चलकर बुराई पर विजय हासिल करते हैं। यह हमारी प्रेरणा के लिए है। यह पवित्र प्रेम, दृढ विश्वास और हनुमानजी के समर्पण के साथ साथ विपरीत परिस्थितियों में होते हुए बिभीषण के अटूट विश्वास के बारे में है। इस की वजह से यह एक ‘रसायन’ है – यह निरंतर पुनरुद्धार एवं वास्तविक शक्ति का जरिया है। एक ओर, यह हमें वानर सैनिक बनने की प्रेरणा देता है, जो भगवान और राजा श्रीराम के भक्त थे, तो दूसरी ओर सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापूजी कहते हैं कि यह रचना दत्तगुरु के चरणों में अर्पण रामगुणसंकीर्तन की पुष्पांजलि है।
और यही तो इस रचना की सुन्दरता है। इस रचना में चित्र विस्तृत और गूढ़ हैं जो हमें उन घटनाओं की गहराई तक ले जाते हैं मानो वे घटनाएँ हमारे समक्ष, हमारी जिंदगी में घट रही हैं।
१) श्री आदिमाता शुभंकरा स्तवनम्
२) श्री आदिमाता अशुभनाशिनी स्तवनम्
३) स्वाहाकारमन्त्रम्
४) दत्तबावनी
५) शिवयोगसार:
६) महिषासुरमर्दिनिस्तोत्रम्
७) दत्तमंगलचण्डीकास्तोत्रम्
८) आई उदे ग अंबे उदे – गजर
९) सर्व मंगल मांगल्ये – जप
१०) ॐ नम:शिवाय – गजर
सुन्दरकाण्डाच्या अचिन्त्य, अपरंपार, अद्भुत सामर्थ्याबद्दल बापू म्हणतात-
सुंदरकांडाचे प्रत्येक अक्षर न् अक्षर मंत्रमय आहे, प्रत्येक शब्द न् शब्द ज्ञानगर्भ आहे, प्रत्येक वाक्य दिशादर्शक आहे आणि प्रत्येक ओवी अनेक सूत्रांना पोटात सामावून असणारी आहे.
भले! सुंदरकांड वाचणाराच काय परंतु लिहितावाचता न येत असल्यामुळे केवळ ऐकणारा काय, जो अत्यंत प्रेमाने हे सुंदरकांड वाचेल किंवा ऐकेल, त्याच्यासाठी ह्या सुंदरकांडातील प्रत्येक अक्षर त्या मनुष्यास अर्थ माहीत नसतानाही मंत्रप्रभाव प्रगट करतेच, प्रत्येक शब्द जीवनातील कुठल्या ना कुठल्या अनुभवाशी आपोआप जोडला जाऊन त्याच्या गर्भातील अर्थ त्या मनुष्याच्या बुद्धीत व मनात उतरवतोच, प्रत्येक वाक्य त्यामागील संदर्भ माहीत नसले तरीही तसे संदर्भ त्या व्यक्तीच्या आजूबाजूस उत्पन्न करून त्या मनुष्यास दिशादर्शन करतेच आणि प्रत्येक ओवी कुठलेही भलेमोठे ग्रंथ व त्यांतील सूत्रे त्या मनुष्यास माहीत नसतानाही त्या मनुष्याकडून त्या सूत्रानुसार उचित कृती करवून घेतेच.
Swayambhagwan (Harihar) Trivikram Anantnamavali – Hindi
तीसरा सह्स्त्रक शुरु होते – होते ही अर्थात ११ सितम्बर २००१ से विश्व का हर एक राष्ट्र अपनी अपनी रक्षा एवं भविष्याकालीन राजनीतिक रवैयों का नये से पुनर्विचार करने लगा। विश्व के अधिकतर प्रमुख राष्ट्रों को आतंकवादी चेहेरे की अच्छी खासी पहचान ईससे पूर्व ही हो चुकी थी। अमरिका एवं रशिया ने तो आतंकवादी संगठनों को प्रोत्साहित कर एक दुसरे के खिलाफ़ ऊनका ईस्तेमाल भी किया था।
Available in English & Marathi
१) जप जप जप मेरे
२) मेरे बापू तेरी दुआए
३) मुझे तेरे नाम का
४) नंदा स्वामिन की जय
५) अनिरुद्ध तेरी दुनियामे
६) होले होले भगत
७) दुआ कर ए मेरे दिल
८) फरियाद सुनले बापू
९) बापू बापू बोल
१०) बापू को अपना बनाले
११) याद करो याद करो
१२) बापू मेरे जीवन में
१३)अनिरुद्ध ह्र्दय से उठकर
१४) जिस पथ पर कभी न भय
१५) अनिरुद्ध का है एक नारा
१६) तुम बिन कौन सहारा
१७) सब सौंप दिया है