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Anjanamata Book – (Print Copy – 2 Books in One Set)
Sadguru Shree Aniruddha Bapu has gifted all the Shraddhavans with this ‘Aanjanamata Book’ – a simplest and beautiful way of making Aadimata Aanjana and her son Ramdoot Hanumant active in every Shraddhavans life. Aanjanamata book provides us with the strength to fight all odds in life and become a ‘Vanarsainik’ of Lord Ram. By writing this book one acquires the potency to fight alone with his prarabdha without depending upon others and the grace of Sadguru flows continuously. This is the biggest benefit of writing the Aanjanamata books.
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![gkdmdl_v1i1](https://images.e-aanjaneya.com/wp-content/uploads/2018/06/gkdmdl_v1i1-300x300.jpg)
न्यायवैद्यक शास्त्र ह्याबाबत सामान्य माणसांना जरी प्रचंड उत्सुकता असली तरी त्यातील फारच थोडी माहिती असते. डॉ.वसुधा आपटे ह्या न्यायवैद्यक शास्त्रातील प्राध्यापिका व तज्ज्ञ आहेत. अनेक किचकट व अवघड वाटणार्या प्रकरणांमध्ये त्यांनी नायर हॉस्पिटल, मुंबई येथे काम करत असताना न्यायालयास मदत केली आहे. जे ज्ञान त्या वैद्यकीय विद्यार्थ्यांना देत असत किंवा न्यायालयात त्या ज्ञानाच्या आधारे साक्ष देत असत, ते सर्व ज्ञान अतिशय साध्यासोप्या व सर्वसामान्यांना समजेल अशा पद्धतीने त्यांनी लिहून सर्वांना उपलब्ध करून दिलेले आहे. ह्या विषयावर इंग्रजीत अनेक पुस्तके आहेत परंतु मराठीमध्ये मात्र ह्या प्रकारचे हे पहिलेच पुस्तक असावे असे वाटते.
![srrmdl](https://images.e-aanjaneya.com/wp-content/uploads/2018/06/srrmdl-300x300.jpg)
‘राम्रसायन’ सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापूजी रचित भगवन श्रीराम की जीवणी है मगर यह केवल अनुवाद नहीं है। ‘राम्रसायन’ भगवान श्रीराम की जीवनगाथा जरुर है, परन्तु कुछ हद तक यह घटनाएं हर युग में और सभी मानवों की जिंदगी में घटती हैं। हरएक की भूमिका – चाहे वे श्रीराम के सद्गुण हों या रावण की चरित्रहीनता हो, वे हर समय हमारे जीवन में घटते हैं। इन बातों को ‘प्रेमप्रवास’ (श्रीमाद्पुरुशार्थ ग्रंथराज का दूसरा भाग) में समझाया गया है। पाठक इन बातों को अपने जीवन से जोड़कर इन से निरंतर मार्गदर्शन पाता है। यह केवल अपनी पत्नी सीता को दुष्ट रावण के चुंगल से छुड़ाने की बात नहीं है। हम भक्तों के लिए मानो भगवान की यह लड़ाई भक्ति को प्रारब्ध के चुंगल से छुड़ाकर वहीँ ले जाने के लिए है जहाँ से वह आई है – भगवान के पास। भगवान एक सामान्य इन्सान की तरह जीवन व्यतीत करते हुए, उपलब्ध भौतिक साधनों की सहायता से और कठिन परिश्रम करते हुए पवित्र मार्ग पर चलकर बुराई पर विजय हासिल करते हैं। यह हमारी प्रेरणा के लिए है। यह पवित्र प्रेम, दृढ विश्वास और हनुमानजी के समर्पण के साथ साथ विपरीत परिस्थितियों में होते हुए बिभीषण के अटूट विश्वास के बारे में है। इस की वजह से यह एक ‘रसायन’ है – यह निरंतर पुनरुद्धार एवं वास्तविक शक्ति का जरिया है। एक ओर, यह हमें वानर सैनिक बनने की प्रेरणा देता है, जो भगवान और राजा श्रीराम के भक्त थे, तो दूसरी ओर सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापूजी कहते हैं कि यह रचना दत्तगुरु के चरणों में अर्पण रामगुणसंकीर्तन की पुष्पांजलि है।
और यही तो इस रचना की सुन्दरता है। इस रचना में चित्र विस्तृत और गूढ़ हैं जो हमें उन घटनाओं की गहराई तक ले जाते हैं मानो वे घटनाएँ हमारे समक्ष, हमारी जिंदगी में घट रही हैं।
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स्त्रियांसाठी आत्मबल हा परमपूज्य नंदाईच्या मार्गदर्शनाखाली चालत असलेला उपक्रम असून त्या अंतर्गत स्त्रियांचा विकास घडावा व त्यांना कुटुंब आणि समाज ह्या दोन्ही स्तरांवर आत्मविश्वासाने वावरता यावे ह्या हेतूने प्रशिक्षित करण्यात येते. गृहिणी असो की व्यवसाय सांभाळणारी स्त्री, स्वयंपाकघराची जबाबदारी ती प्रेमाने व यशस्वीरीतीने पार पाडतच असते. हे सुलभ व्हावे आणि तिला आनंदही मिळावा ह्या हेतूने काही पौष्टिक पण चविष्ट अशा पदार्थांच्या कृती संकलित केल्या आहेत.